प्रबन्धक के शब्दों में

संजय नारायण बाजपेई
सच्चिदानंद बाजपेई महाविद्यालय अपने आदर्श एवं नैतिक मूल्यों की रक्षा एवं प्रसार के लिए कृत संकल्प है | महाविद्यालय अपने वाक्य " नास्ति ज्ञानात्परं सुखम " अर्थात ज्ञान से परे सुख नहीं है, के प्रतिपालन हेतु वचनबद्ध, समरसता एवं एकरूपता को स्थापित करने की अपनी परम्परा है | हमारा सतत एवं भागीरथ, प्रयास है कि हम संस्था के अपने सुव्यवस्थित मूल्यों के अनुकूल आप को अपने लक्ष्य तक पहुँचा सके एवं संस्कारयुक्त व्यक्तित्व बना सकें, जिससे राष्ट्र की उत्तरोत्तर प्रगति में आप एक महत्वपूर्ण प्रकाश-स्तम्भ बनकर अन्य लोगो का भी मार्ग प्रशस्त कर सके |

आप का मनोबल एवं नैतिक स्तर पर्वत से भी गुरुतर, समुद्र से भी गहरा और आकाश से भी ऊँची होना चाहिए, जिससे कोई भी शक्ति आप की प्रगति को अवरूध न कर सकें |

मेरी शुभकामनाएँ आप के साथ है |

सधन्यवाद
प्रबन्धक
सच्चिदानंद बाजपेई महाविद्यालय


प्राचार्या सन्देश


वर्ष 2015 में स्थापित सच्चिदानंद बाजपेई महाविद्यालय, कुरमापुर, पोस्ट-जगजीवनपुर, रायबरेली रोड, उन्नाव (उ० प्र०), जनपद के परिश्रमी, द्र्ढनिश्चयी, निष्ठावान व शिक्षा को समर्पित समाज-सेवियों की सदभावनाओं और सदप्रयासों का परिणाम है| इस महाविधालय की स्थापना में जहां स्व० सच्चिदानंद बाजपेई जी की भूमिका सर्वोपरि है वहीं श्री विजयानंद बाजपेई जी का असीम सहयोग और आर्शीवाद भी उल्लेखनीय है|

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महाविधालय की स्थापना एक गौरवशाली अधयाय के रुप में स्वीकार की गई| यही कारण है कि अध्ययन,अध्यापन,परीक्षाफल, अनुशासन तथा विविध शिक्षणेत्तर गतिविधियो में यह महाविधालय के अग्रणी महाविधालयो की श्रेणी में गिना जाता है|

विभा त्रिपाठी
प्राचार्या